
ओमान की सबसे उम्रदराज जीवित महिला का 133 वर्ष की आयु में निधन: एक युग का अंत
ओमान सल्तनत ने आज एक असाधारण युग का अंत देखा है। देश की सबसे उम्रदराज जीवित महिला, शैख़ा सलमा बिन्त सईद अल रियामी, जिनकी आयु 133 वर्ष थी, का आज शांतिपूर्वक निधन हो गया। वह अल दख़िलियाह प्रांत के एक पारंपरिक गाँव में अपने परिजनों के बीच अंतिम सांस ले गईं।
उनका निधन किसी एक व्यक्ति का अंत नहीं, बल्कि एक जीवंत इतिहास का अंतिम अध्याय है। उन्होंने कई पीढ़ियों, सुल्तानों, युद्धों, शांति संधियों, तेल की खोज, आधुनिक ओमान के उदय और डिजिटल युग तक का सफर देखा।
समय से परे एक जीवन
1892 में जन्मीं शैख़ा सलमा का जीवन रेगिस्तान की हवाओं और समुद्री किस्सों से भरा था। उन्होंने ऊँट की सवारी करते हुए अपने पिता के साथ अंतर्देशीय पहाड़ों की यात्रा की, और वर्षों बाद जब गांव में पहली बार रेडियो आया, तब विश्व युद्धों की खबरें सुनीं।
वह 17 साल की उम्र में विवाह बंधन में बंधीं, 10 बच्चों की माँ बनीं, और उनके परिवार की अब पाँच पीढ़ियाँ हो चुकी हैं।
एक राष्ट्रीय धरोहर
शैख़ा सलमा केवल एक बुज़ुर्ग नहीं थीं, बल्कि ओमान की सांस्कृतिक धरोहर थीं। उनकी बातें इतिहासकारों, पत्रकारों और यहां तक कि शाही परिवार के सदस्यों द्वारा सुनी जाती थीं। उनकी स्मृति अद्भुत थी और उन्होंने पारंपरिक ओमानी चिकित्सा, कविता और सामाजिक जीवन पर बहुत सी अनकही बातें साझा कीं।
अंतरराष्ट्रीय शोधकर्ताओं ने भी उनकी दीर्घायु में रुचि दिखाई, क्योंकि वह उम्र के साथ भी मानसिक रूप से सतर्क रहीं और पारंपरिक आहार व जीवनशैली को अपनाए रखा।
उनकी दीर्घायु का रहस्य
जब उनसे उनकी लंबी उम्र का रहस्य पूछा गया, तो वे मुस्कराते हुए कहती थीं:
“पहाड़ी हवा, बकरी का दूध, खजूर और दिल की शांति।”
उनका भोजन पारंपरिक ओमानी था—प्राकृतिक, सरल और जैविक। वे नियमित रूप से पैदल चलती थीं, बगीचे का काम करती थीं और नमाज में संलग्न रहती थीं, जिससे उन्हें शारीरिक और मानसिक संतुलन मिलता था।
राष्ट्रीय शोक की लहर
3 मई 2025 को जैसे ही उनके निधन की खबर फैली, पूरा देश शोक में डूब गया। सोशल मीडिया पर #SheikhaSalma133, #OmaniWisdom, और #OmanHistoryLivesOn जैसे हैशटैग्स ट्रेंड करने लगे।
उनका अंतिम संस्कार जबल अखदर के सुंदर गांव में हुआ, जहाँ सरकारी अधिकारी, स्थानीय निवासी और हजारों शुभचिंतक उपस्थित हुए। उनके सम्मान में क्षेत्रीय झंडा आधा झुका दिया गया और कई स्कूलों में एक मिनट का मौन रखा गया।
सांस्कृतिक विरासत मंत्रालय ने उनके नाम पर एक स्मृति खंड बनाने की घोषणा की है, जिसमें उनके फोटो, रिकॉर्डिंग और निजी वस्तुएं संग्रहित की जाएँगी।
सांस्कृतिक योगदान
शैख़ा सलमा ने ओमान की परंपराओं को जीवित रखने में अद्भुत योगदान दिया। उनके स्मरण में 100 साल पुराने किस्से थे—मोती गोताखोरों की कहानियाँ, ऊँट कारवां, और नizwa से सलालाह तक की यात्राएँ।
उन्होंने पारंपरिक ओमानी कविता और मौखिक लोककथाओं को संरक्षित करने में युवाओं की मदद की। उनके घर को विद्वानों और शोधकर्ताओं के लिए एक संग्रहालय जैसा दर्जा प्राप्त था।
पारिवारिक विरासत
निधन के समय उनके पीछे:
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10 बच्चे (जिनमें से 5 जीवित हैं)
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38 पोते-पोतियाँ
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96 प्रपौत्र/प्रपौत्रियाँ
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47 सप्रपौत्र/सप्रपौत्रियाँ थे।
उनके वंशज आज यूएई, बहरीन, और सऊदी अरब में फैले हैं और कई सरकारी विभागों और शैक्षणिक संस्थानों में कार्यरत हैं।
ओमानी पहचान की प्रतीक
एक ऐसे युग में जब सब कुछ बदल रहा है, शैख़ा सलमा की जीवनगाथा ओमान की जड़ों से जोड़ने वाली प्रेरणा थी। वह उन दिनों की जीवित स्मृति थीं जब ओमान तेल रहित था, जब व्यापारिक कारवां चलते थे और समुद्री व्यापार फलता-फूलता था।
राष्ट्रीय श्रद्धांजलियाँ
सुल्तान हैतम बिन तारिक ने शोक व्यक्त करते हुए कहा:
“शैख़ा सलमा बिन्त सईद अल रियामी का निधन हमारी सांस्कृतिक धरोहर की हानि है। उनकी यादें अनंत काल तक जीवित रहेंगी।”
ओमानी कवि अहमद अल रावाही ने लिखा:
"रेत की उम्र के साथ चलीं,
और टीलों की हवा जैसी बोलीं।
ओमान के स्वर्ण युग की आत्मा,
अब चाँद की संगिनी हो गईं।"
अंतिम संदेश
132वें जन्मदिन पर दिए गए एक वीडियो संदेश में उन्होंने कहा था:
“मैंने एक जीवन में कई ज़िंदगियाँ जी हैं। अपनी ज़मीन से प्यार करो, अपने परिवार से प्यार करो और अपने दिल को हल्का रखो—यही ओमानी जीवन है।”
एक अनंत प्रेरणा
आज जब ओमान के पहाड़ों के पीछे सूरज ढल रहा है, तो शैख़ा सलमा की आत्मा किसी समय की सीमा में नहीं बंधी है। उनका निधन एक अध्याय का अंत है, लेकिन उनकी प्रेरणा सदा जीवित रहेगी।
निष्कर्ष: एक युगद्रष्टा महिला को श्रद्धांजलि
133 वर्ष की आयु में शैख़ा सलमा बिन्त सईद अल रियामी का निधन केवल एक समाचार नहीं है, यह ओमान के इतिहास और संस्कृति की जीवंत किताब का अंतिम पृष्ठ है। आज जब ओमान दुनिया के साथ कदम से कदम मिला रहा है, उनकी कहानी हमें याद दिलाती है कि हमारी असली ताकत हमारी जड़ों में है।
एसईओ-अनुकूल अनुच्छेद (साइट ट्रैफिक बढ़ाने हेतु):
यह मार्मिक श्रद्धांजलि ओमान की सबसे उम्रदराज महिला, शैख़ा सलमा बिन्त सईद अल रियामी के सम्मान में है, जिनका 133 वर्ष की आयु में निधन हुआ। यह ब्लॉग ओमान की सांस्कृतिक विरासत, दीर्घायु जीवन, अरब परंपराएं, और मध्य पूर्व की प्रेरक महिलाएं जैसे उच्च-रैंकिंग कीवर्ड्स को दर्शाता है। यदि आप भी मिडिल ईस्ट समाचार, मानव जीवन की प्रेरणादायक कहानियाँ, या ओमान की लोक संस्कृति में रुचि रखते हैं, तो [आपकी वेबसाइट का नाम] पर ऐसे और लेख पढ़ें जो अतीत और भविष्य को जोड़ते हैं।
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