डेनमार्क की मंत्री ने मेटा पर बच्चों की सुरक्षा से ज़्यादा प्रचार को प्राथमिकता देने का आरोप लगाया

डेनमार्क की मंत्री ने मेटा पर बच्चों की सुरक्षा से ज़्यादा प्रचार को प्राथमिकता देने का आरोप लगाया

डेनमार्क की डिजिटल गवर्नेंस मंत्री कैटरीन वेस्टरगार्ड ने मेटा प्लेटफॉर्म्स इंक. (पूर्व में फेसबुक) पर तीखा हमला बोलते हुए आरोप लगाया है कि कंपनी अपने प्लेटफॉर्म्स पर बच्चों और किशोरों की सुरक्षा से अधिक राजनीतिक प्रचार और जुड़ाव बढ़ाने वाले एल्गोरिद्म को प्राथमिकता दे रही है। 21 जून को कोपेनहेगन में आयोजित 2025 नॉर्डिक टेक एंड सोसाइटी समिट में मंत्री वेस्टरगार्ड ने मेटा के व्यवहार को "नैतिक रूप से अस्वीकार्य" और "तकनीकी रूप से गैर-जिम्मेदार" बताया। यह बयान तकनीकी दिग्गजों की जवाबदेही, डिजिटल बाल सुरक्षा, और एल्गोरिदमिक पारदर्शिता पर फिर से बहस को तेज कर रहा है।

यह टिप्पणी तब आई है जब 2023 में लागू हुए यूरोपीय संघ के डिजिटल सर्विसेज एक्ट (DSA) के बाद से मेटा की अनुपालन प्रक्रिया पर कई सरकारें सवाल उठा रही हैं। मंत्री वेस्टरगार्ड की टिप्पणी उन चिंताओं को दर्शाती है जो दर्शाती हैं कि मेटा यूरोपीय नियमों के बावजूद बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित करने में विफल रहा है, जबकि कंपनी अपनी नई सेवाओं जैसे थ्रेड्स और मेटावर्स प्लेटफॉर्म Horizon Worlds का विस्तार करती जा रही है।


मेटा पर उठते सवाल: बढ़ता विवाद

इस विवाद की जड़ मेटा की यूरोपीय नीति टीम के एक व्हिसलब्लोअर द्वारा लीक की गई आंतरिक दस्तावेज़ हैं, जिनसे पता चलता है कि मेटा के कंटेंट रेकमेंडेशन सिस्टम—खासकर इंस्टाग्राम और फेसबुक पर—अब भी राजनीतिक रूप से संवेदनशील सामग्री, गलत सूचना और उकसाने वाले पोस्ट्स को बढ़ावा दे रहे हैं, जबकि नाबालिगों को हानिकारक सामग्री से सुरक्षित रखने के प्रयास असफल हैं।

डेनमार्क की सरकार ने यूनिवर्सिटी ऑफ आरहस के शोधकर्ताओं के साथ मिलकर किए गए एक राष्ट्रीय ऑडिट के प्रारंभिक निष्कर्षों का भी खुलासा किया, जिससे पता चला कि डेनमार्क में 11–16 वर्ष की आयु के बच्चे अब भी ग्राफिक कंटेंट, साइबरबुलीइंग, बॉडी इमेज दबाव और गलत जानकारी के संपर्क में आ रहे हैं।


यूरोपीय संघ की तकनीकी कंपनियों के खिलाफ कार्रवाई

डेनमार्क का यह कड़ा रुख अकेला नहीं है। यूरोपीय संघ ने हाल के वर्षों में डिजिटल नैतिकता के मामलों में नेतृत्व करते हुए DSA और डिजिटल मार्केट्स एक्ट (DMA) जैसे कानूनों के तहत ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स पर कड़े नियम लागू किए हैं। Facebook, Instagram और WhatsApp जैसे प्लेटफॉर्म्स को Very Large Online Platforms (VLOPs) की श्रेणी में रखा गया है, जिन पर सुरक्षा, पारदर्शिता और मॉडरेशन के सख्त नियम लागू होते हैं।

हालांकि, डेनमार्क की मंत्री का कहना है कि मेटा केवल सतही तौर पर इन नियमों का पालन कर रही है और असली बदलाव की बजाय पीआर अभियानों पर ज़्यादा ध्यान दे रही है। “मेटा जानता है कि वह क्या कर रहा है। वह जानबूझकर ऐसा मॉडल बना रहा है जो मुनाफा बढ़ाए, ना कि बच्चों की रक्षा करे,” वेस्टरगार्ड ने कहा।

उन्होंने यह भी चेतावनी दी कि अगर अक्टूबर 2025 की अगली रिपोर्टिंग अवधि तक मेटा सुधार नहीं दिखाता, तो डेनमार्क राष्ट्रीय स्तर पर प्रतिबंध या नए कानूनों पर विचार कर सकता है।


बच्चों की सुरक्षा बनाम एल्गोरिद्म आधारित लाभ

डेनमार्क सरकार की चिंता का केंद्र मेटा के एंगेजमेंट-बेस्ड एल्गोरिद्म हैं, जो सामग्री को उसकी उपयोगकर्ता प्रतिक्रिया के आधार पर बढ़ावा देते हैं, ना कि उसकी गुणवत्ता या सुरक्षा के आधार पर। ये एल्गोरिद्म बच्चों और किशोरों की मनोवैज्ञानिक संवेदनशीलता का फायदा उठाते हैं, जिससे वे लत, चिंता, आत्म-छवि के संकट, और ऑनलाइन चरमपंथ का शिकार हो सकते हैं।

2024 में लीक हुए एक मेमो के अनुसार, मेटा की आंतरिक नैतिक टीम ने चेतावनी दी थी कि कंपनी का “युवा एंगेजमेंट रणनीति” लगभग उसी राह पर है जिस पर पहले तंबाकू उद्योग था—मनोवैज्ञानिक शोषण द्वारा लाभ कमाना।


मेटा की प्रतिक्रिया: केवल दिखावा?

मेटा ने वेस्टरगार्ड के भाषण के बाद एक बयान जारी कर कहा कि वे "युवाओं की ऑनलाइन सुरक्षा के लिए प्रतिबद्ध" हैं और "डिजिटल भलाई को प्राथमिकता देने के लिए तकनीक, साझेदारी और नीतियों में निवेश कर रहे हैं"।

हालांकि, बाल अधिकार संगठनों और डिजिटल सुरक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि यह बयान सिर्फ जनसंपर्क रणनीति है। डेनमार्क के संगठनों Digitalt Tryg Børn और SafeScreen DK का कहना है कि मेटा की कई पहलें या तो अधूरी हैं या अप्रभावी, और बच्चों के लिए डिफ़ॉल्ट सुरक्षा सेटिंग्स या स्पष्ट रिपोर्टिंग टूल्स अब भी नहीं हैं।


डिजिटल डिज़ाइन में नैतिकता की मांग

मंत्री वेस्टरगार्ड के अनुसार यह सिर्फ मॉडरेशन का मुद्दा नहीं है, बल्कि इंटरनेट को मानवाधिकार और बच्चों की भलाई को ध्यान में रखते हुए फिर से डिज़ाइन करने की आवश्यकता है। उन्होंने "सुरक्षा द्वारा डिज़ाइन" के सिद्धांतों पर ज़ोर दिया जिसमें शामिल हैं:

  • आयु उपयुक्त डिज़ाइन कोड्स

  • बच्चों के लिए डिफ़ॉल्ट निजी सेटिंग्स

  • एल्गोरिद्म में पारदर्शिता

  • सुलभ रिपोर्टिंग तंत्र

  • सामग्री मॉडरेशन में मानव हस्तक्षेप

डेनमार्क अब यूरोपीय संघ से अपील कर रहा है कि वह इन सुरक्षा मानकों को सभी सदस्य देशों के लिए अनिवार्य बनाए और बच्चों की डिजिटल सुरक्षा को एक जन स्वास्थ्य मुद्दे के रूप में माने।


आगे क्या?

अगले कुछ महीने मेटा और यूरोपीय सरकारों के बीच संबंधों के लिए निर्णायक होंगे। अगर मेटा ने आवश्यक सुधार नहीं किए, तो उसे नए प्रतिबंधों और आर्थिक दंडों का सामना करना पड़ सकता है। इस बीच, डेनमार्क अन्य नॉर्डिक देशों के साथ मिलकर एक Nordic Digital Ethics Accord तैयार कर रहा है, जिसमें साझा सुरक्षा मानक, डिजिटल शिक्षा और किशोरों की डिजिटल सशक्तिकरण नीतियां शामिल होंगी।

मंत्री वेस्टरगार्ड ने अपने भाषण का अंत कड़े शब्दों में किया:
“अगर मेटा जैसी कंपनियां मुनाफे को सुरक्षा से ऊपर रखेंगी, तो सरकारों को कड़े कदम उठाने ही होंगे। हम अपने बच्चों को एल्गोरिद्म और कॉर्पोरेट लापरवाही के हवाले नहीं कर सकते।”


निष्कर्ष: सार्वजनिक दबाव ही लाएगा असली बदलाव

यह स्पष्ट होता जा रहा है कि जनता की भागीदारी और राजनीतिक जवाबदेही ही तकनीक की दुनिया में सुरक्षित भविष्य का मार्ग प्रशस्त कर सकते हैं। माता-पिता, शिक्षक, नीति निर्माता और टेक विशेषज्ञ सभी को साथ आकर नैतिक तकनीक, डिजिटल अधिकार, और बच्चों की ऑनलाइन सुरक्षा के लिए काम करना होगा।

अब सिर्फ बयानों और दिखावे से काम नहीं चलेगा। प्लेटफॉर्म्स को वास्तविक, लागू करने योग्य बदलाव लाने होंगे—तभी अगली पीढ़ी के लिए डिजिटल दुनिया सुरक्षित और भरोसेमंद बन सकेगी।


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