
चैटजीपीटी और किशोरों का व्यवहार: नई रिसर्च ने गंभीर चिंताएं उठाईं
डिजिटल संचार के इस युग में, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) आधारित टूल्स, जैसे कि ChatGPT, हमारे दैनिक जीवन का अभिन्न हिस्सा बन चुके हैं। स्कूल के असाइनमेंट्स से लेकर सोशल बातचीत तक, किशोर इन AI टूल्स का सबसे अधिक उपयोग करने वाले समूहों में से हैं। लेकिन जहां ChatGPT ने सुविधा, रचनात्मकता और जानकारी की उपलब्धता को बढ़ाया है, वहीं 2025 की ताज़ा रिसर्च ने यह संकेत दिया है कि इसका किशोरों के मानसिक स्वास्थ्य, संज्ञानात्मक विकास और सामाजिक व्यवहार पर गंभीर प्रभाव पड़ सकता है।
किशोरों में ChatGPT का बढ़ता प्रभाव
2025 तक, यह अनुमान लगाया गया है कि संयुक्त राज्य अमेरिका में 68% से अधिक किशोर रोजाना कम से कम एक बार ChatGPT या अन्य AI चैटबॉट्स का उपयोग करते हैं। होमवर्क, मनोरंजन, या भावनात्मक समर्थन के लिए ये टूल्स अब आम हो चुके हैं।
इस बढ़ते उपयोग को देखते हुए अब विशेषज्ञों, मनोवैज्ञानिकों और डिजिटल वेलनेस शोधकर्ताओं ने यह सवाल उठाया है — क्या ChatGPT का अत्यधिक उपयोग किशोरों के दीर्घकालिक विकास को प्रभावित कर रहा है?
नई रिसर्च क्या कहती है?
Institute of Adolescent Digital Health द्वारा किए गए हालिया अध्ययन में अमेरिका, यूरोप और एशिया के 12,000 से अधिक किशोरों का सर्वेक्षण किया गया। इस रिसर्च ने तीन मुख्य पहलुओं पर ध्यान केंद्रित किया:
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मानसिक स्वास्थ्य
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संवाद कौशल
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AI पर निर्भरता
1. मानसिक स्वास्थ्य पर प्रभाव
जिन किशोरों ने ChatGPT का प्रतिदिन 3 घंटे से अधिक उपयोग किया, उन्होंने बताया:
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एकाकीपन की भावना 31% अधिक देखी गई।
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चिंता और नकारात्मक सोच 26% अधिक पाई गई।
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नींद में कठिनाई की दर 37% अधिक थी।
हालांकि ChatGPT को एक गैर-आलोचनात्मक साथी के रूप में देखा जाता है, लेकिन जब किशोर भावनात्मक समर्थन के लिए AI पर निर्भर हो जाते हैं, तो यह प्रतिक्रिया हमेशा सकारात्मक नहीं होती।
2. सामाजिक कौशल में गिरावट
ऐसे किशोर जो ChatGPT का उपयोग वार्तालाप अभ्यास, मैसेज तैयार करने या सामाजिक बातचीत को लेकर तैयारी के लिए करते हैं, उनमें वास्तविक जीवन की सामाजिक समझ कमजोर पाई गई। उदाहरण:
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आमने-सामने बातचीत में आंखों का संपर्क कम करना
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संकट सुलझाने के लिए स्क्रिप्टेड उत्तरों पर निर्भरता
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भावनात्मक संकेतों और बॉडी लैंग्वेज की समझ में कमी
3. AI निर्भरता और पहचान भ्रम
रिसर्च ने यह भी दिखाया कि लगातार ChatGPT का उपयोग किशोरों की व्यक्तिगत पहचान और सोच को प्रभावित कर रहा है। कुछ किशोर ChatGPT की बोलने की शैली और राय को अपनाने लगे हैं।
एक किशोर ने कहा:
“मैंने अपने जर्नलिंग के लिए ChatGPT का उपयोग करना शुरू किया, और अब मुझे नहीं पता कि जो विचार मैं लिखता हूँ, वो मेरे हैं या AI के।”
यह स्थिति मनोवैज्ञानिकों के लिए एक चिंताजनक संकेत है।
माता-पिता और शिक्षकों की भूमिका
माता-पिता और शिक्षक इस तकनीकी बदलाव की पहली पंक्ति में खड़े हैं। रिसर्च कुछ सुझाव देती है:
1. डिजिटल साक्षरता कार्यक्रम
स्कूलों में AI साक्षरता सिखाने वाले कोर्स आवश्यक हैं, जिससे छात्र ChatGPT के उत्तरों को आलोचनात्मक दृष्टिकोण से देख सकें।
2. खुला संवाद
घर में AI, स्क्रीन टाइम और मानसिक स्वास्थ्य पर खुले संवाद से किशोरों में जागरूकता और संतुलन लाया जा सकता है।
3. AI-मुक्त क्षेत्र
स्कूल और घरों में कुछ समय के लिए AI से मुक्त वातावरण बनाना चाहिए, जैसे खेल, पढ़ाई, दोस्तों से बातचीत आदि।
ChatGPT: उपकरण या बैसाखी?
यह याद रखना जरूरी है कि ChatGPT अपने आप में हानिकारक नहीं है। लेकिन जब इसका उपयोग मानव संबंधों के स्थान पर होने लगे, तो समस्या उत्पन्न होती है।
ChatGPT को सहयोगी टूल की तरह उपयोग करना चाहिए, न कि भावनात्मक सहारा या नैतिक मार्गदर्शक के रूप में।
भविष्य में क्या हो सकता है?
यदि समय रहते ध्यान नहीं दिया गया, तो हम एक ऐसी पीढ़ी तैयार कर सकते हैं जो:
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भावनात्मक घनिष्ठता में कमजोर हो
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आत्म-पहचान में उलझी हो
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स्वतंत्र सोच और सहानुभूति में पिछड़ी हो
AI अब केवल मनोरंजन या जानकारी तक सीमित नहीं है — यह व्यक्तित्व निर्माण में हस्तक्षेप कर रहा है।
समाधान क्या हैं?
रिसर्च यह सुझाती है कि हमें सामूहिक रूप से आगे आना होगा:
डेवलपर्स को चाहिए:
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उम्र-उपयुक्त फिल्टर विकसित करें
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डिज़ाइन में नैतिक सिद्धांत अपनाएं
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डेटा पारदर्शिता सुनिश्चित करें
नीति निर्माताओं को चाहिए:
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नाबालिगों के लिए AI उपयोग पर नियम लागू करें
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स्वतंत्र अनुसंधान के लिए फंड दें
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डेटा गोपनीयता कानून सख्त करें
किशोरों को चाहिए:
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ChatGPT को सहायक के रूप में देखें, अंतिम उत्तरदाता के रूप में नहीं
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AI उत्तरों का विश्लेषण करें
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अपने भावनात्मक अनुभवों पर ध्यान दें
निष्कर्ष
ChatGPT और किशोरों के व्यवहार को लेकर उठती चिंताएं हमें सतर्क और सजग होने का संकेत देती हैं। यह मुद्दा केवल तकनीक का नहीं, बल्कि हमारे भविष्य की पीढ़ियों के मानसिक विकास का है।
यदि हम आज कदम नहीं उठाएंगे, तो कल इसके परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं। समय अब है — सोचें, समझें और सशक्त बनाएं।
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