
पुतिन ने WhatsApp और Telegram की जगह लेने वाले नए सरकारी मैसेजिंग ऐप को दी मंज़ूरी
रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने आज एक बड़ा कदम उठाते हुए एक नए सरकारी मैसेजिंग ऐप को आधिकारिक मंज़ूरी दे दी है, जो लोकप्रिय एन्क्रिप्टेड ऐप्स WhatsApp और Telegram की जगह लेगा। यह ऐप रूस के डिजिटल विकास, संचार और मास मीडिया मंत्रालय के सीधे पर्यवेक्षण में विकसित किया गया है और इसे देश की डिजिटल संप्रभुता, साइबर सुरक्षा, और तकनीकी आत्मनिर्भरता को मज़बूत करने की रणनीति का हिस्सा बताया गया है।
यह घोषणा 24 जून 2025 को एक टेलीविज़न प्रेस ब्रीफिंग के माध्यम से की गई, जिससे न केवल रूस में बल्कि वैश्विक तकनीकी और भू-राजनीतिक हलकों में भी हलचल मच गई है। इस पहल के समर्थक इसे राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए आवश्यक बता रहे हैं, जबकि आलोचक इसे निजता हनन और सरकारी निगरानी के रूप में देख रहे हैं।
पश्चिमी टेक कंपनियों से दूरी की रणनीति
इस नए ऐप को "रुज़ग्राम" (Ruzgram) नाम से विकसित किया गया है। यह WhatsApp और Telegram की तरह एंड-टू-एंड एन्क्रिप्शन, वीडियो वॉइस कॉलिंग, ग्रुप चैट, मल्टीमीडिया शेयरिंग, और इन-बिल्ट पेमेंट सिस्टम जैसी सुविधाओं से लैस होगा। लेकिन सबसे बड़ा अंतर यह है कि इसके सर्वर और डेटा पर पूरी तरह से रूस सरकार का नियंत्रण होगा।
Telegram, भले ही रूसी मूल के पावेल डुरोव द्वारा बनाया गया हो, लंबे समय से रूसी सरकार से डेटा एक्सेस और एन्क्रिप्शन को लेकर टकराव में रहा है। WhatsApp, जो Meta Platforms का हिस्सा है, को भी रूस में संदेह की नजरों से देखा जाता है।
पुतिन प्रशासन वर्षों से "डिजिटल संप्रभुता" पर जोर देता आया है, खासकर पश्चिमी प्रतिबंधों और साइबर युद्ध के बढ़ते खतरों के बीच। यह नया ऐप उसी रणनीति का विस्तार है।
नए ऐप की मुख्य विशेषताएं
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सरकार समर्थित एन्क्रिप्शन: डेटा एन्क्रिप्टेड रहेगा लेकिन एन्क्रिप्शन प्रोटोकॉल राज्य द्वारा नियंत्रित होगा। इससे संभावित निगरानी की चिंता उठती है।
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AI आधारित कंटेंट मॉडरेशन: ऐप में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की मदद से “गलत जानकारी,” “चरमपंथ,” और “विदेशी प्रचार” जैसे कंटेंट को पहचान कर रोका जाएगा।
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राष्ट्रीय सेवाओं से लिंक: यह ऐप नागरिकों की सरकारी डिजिटल ID (Gosuslugi) से जुड़कर विभिन्न सरकारी सेवाओं जैसे बिल भुगतान, पेंशन, वोटिंग आदि को आसान बनाएगा।
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क्रॉस-प्लेटफॉर्म सपोर्ट: Android, iOS और डेस्कटॉप के लिए उपलब्ध रहेगा। हालांकि अंतरराष्ट्रीय उपयोग सीमित हो सकता है।
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ब्लॉकचेन डेटा स्टोरेज: ऐप डेटा को ब्लॉकचेन तकनीक से स्टोर करेगा ताकि बाहरी हस्तक्षेप रोका जा सके।
राष्ट्रीय सुरक्षा और साइबर संप्रभुता
पिछले दो वर्षों में रूस पर साइबर हमलों में काफी वृद्धि हुई है, जिन्हें सरकार पश्चिमी खुफिया एजेंसियों की साजिश मानती है। WhatsApp और Telegram जैसे विदेशी प्लेटफॉर्म्स पर निर्भरता को एक कमजोर कड़ी माना जा रहा है।
नई ऐप सभी सरकारी कर्मचारियों, सैन्य कर्मियों, और राज्य-नियंत्रित संस्थानों में अनिवार्य कर दी जाएगी। 2026 तक WhatsApp और Telegram को पूरी तरह बंद करने की योजना है।
हालांकि, कुछ साइबर सुरक्षा विशेषज्ञ इस कदम को आवश्यक सुरक्षा उपाय मानते हैं, वहीं कई इसे व्यक्तिगत स्वतंत्रता पर आघात बताते हैं।
जनता और टेक समुदाय की प्रतिक्रिया
रूस के भीतर इस फैसले पर मिली-जुली प्रतिक्रिया देखने को मिल रही है। कुछ लोग इसे "राष्ट्रवादी विकल्प" कहकर स्वीकार कर रहे हैं, तो कुछ को निजी डेटा की सुरक्षा को लेकर गंभीर चिंता है।
डिजिटल अधिकार कार्यकर्ताओं और विपक्षी नेताओं ने इस ऐप को डिजिटल तानाशाही का उपकरण बताया है। अलेक्सी नवालनी की एंटी-करप्शन फाउंडेशन ने इसे “एक डिजिटल जेल” बताया, जिसका उद्देश्य असहमति को दबाना है।
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी यह कदम डिजिटल सेंसरशिप, इंटरनेट स्वतंत्रता, और डेटा संप्रभुता पर बहस को फिर से जीवित कर रहा है।
आर्थिक और भू-राजनीतिक प्रभाव
रूस का यह कदम वैश्विक टेक्नोलॉजी से दूरी की ओर एक और बड़ा कदम है। हालांकि इससे रूस तकनीकी रूप से अलग-थलग पड़ सकता है, लेकिन सरकार इसे लंबी अवधि की डिजिटल स्वतंत्रता के लिए जरूरी मानती है।
BRICS देशों, खासकर चीन और भारत के साथ, इस ऐप को लेकर सहयोग की बातें चल रही हैं। इसका उद्देश्य एक वैकल्पिक वैश्विक इंटरनेट इंफ्रास्ट्रक्चर खड़ा करना है जो पश्चिमी कंपनियों पर निर्भर न हो।
WhatsApp और Telegram की स्थिति खतरे में
Telegram और WhatsApp दोनों ही रूस में बहुत लोकप्रिय हैं, लेकिन इस सरकारी निर्णय के बाद उनके अस्तित्व पर संकट मंडरा रहा है। Telegram ने अपने सर्वर रूस से बाहर स्थानांतरित करना शुरू कर दिया है, जबकि WhatsApp की स्थिति और कमजोर हो गई है।
ऐसा माना जा रहा है कि 2026 के अंत तक इन दोनों प्लेटफॉर्म्स पर प्रतिबंध लग सकता है या उनकी सेवाएं काफी हद तक सीमित कर दी जाएंगी।
रूस में डिजिटल स्वतंत्रता का भविष्य
पुतिन द्वारा इस ऐप को मंज़ूरी देना रूस के इंटरनेट नीति में एक नया अध्याय है। समर्थकों का कहना है कि यह कदम देश को डिजिटल सुरक्षा देगा, जबकि आलोचकों को डर है कि यह एक निगरानी उपकरण बन सकता है।
विशेषज्ञों का मानना है कि यदि इस ऐप में ट्रांसपेरेंसी, स्वतंत्र निगरानी, और ओपन-सोर्स एन्क्रिप्शन नहीं होंगे, तो यह सत्तावाद को बढ़ावा दे सकता है।
रूस का डिजिटल भविष्य इस ऐप की सफलता या विफलता पर निर्भर करेगा – और उसके साथ ही लाखों नागरिकों की ऑनलाइन स्वतंत्रता भी।
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