कैलिफ़ोर्निया के गवर्नर: मैं ट्रंप पर मुकदमा करूंगा क्योंकि उन्होंने राज्य से नेशनल गार्ड को ओरेगन भेजा

कैलिफ़ोर्निया के गवर्नर: मैं ट्रंप पर मुकदमा करूंगा क्योंकि उन्होंने राज्य से नेशनल गार्ड को ओरेगन भेजा

आज, 6 अक्टूबर 2025 को, वॉशिंगटन और सैक्रामेंटो में राजनीति का पारा चरम पर है। एक नाटकीय घटनाक्रम में, कैलिफ़ोर्निया के गवर्नर गेविन न्यूज़म ने औपचारिक रूप से घोषणा की है कि वे पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड जे. ट्रंप के खिलाफ मुकदमा दायर करेंगे। आरोप है कि ट्रंप ने अवैध रूप से कैलिफ़ोर्निया नेशनल गार्ड को संघीय आदेश के तहत ओरेगन भेज दिया। यह फैसला तब आया है जब अदालतें विभाजित हैं, संघीय शक्तियों की सीमाओं पर सवाल उठ रहे हैं और राज्य तथा केंद्र के बीच अधिकारों की लड़ाई गहराती जा रही है।

सीमा पार तैनाती का विवाद

मुख्य सवाल यह है: क्या संघीय कार्यपालिका किसी राज्य की नेशनल गार्ड को बिना गवर्नर की सहमति के दूसरे राज्य में तैनात कर सकती है?

रिपोर्ट्स के अनुसार, पेंटागन ने लगभग 200 कैलिफ़ोर्निया नेशनल गार्ड जवानों को लॉस एंजेलिस से पोर्टलैंड, ओरेगन भेजने का आदेश दिया है ताकि वे ICE सुविधाओं और संघीय संपत्तियों की सुरक्षा कर सकें। यह कदम उस समय उठाया गया जब हाल ही में एक संघीय न्यायाधीश ने ओरेगन की नेशनल गार्ड तैनाती को रोक दिया था।

गवर्नर न्यूज़म ने इसे सीधे तौर पर कैलिफ़ोर्निया की संप्रभुता और कानून के शासन को चुनौती बताया। अपने बयान में उन्होंने कहा कि यह “शक्ति का चौंकाने वाला दुरुपयोग” है, जो कैलिफ़ोर्निया के जवानों को राजनीतिक प्यादों की तरह इस्तेमाल करता है। ओरेगन के गवर्नर और अटॉर्नी जनरल भी इस कानूनी लड़ाई में शामिल हो गए हैं।

कानूनी पृष्ठभूमि: संविधान और सीमाएँ

यह विवाद अमेरिकी संवैधानिक ढांचे की मूलभूत बातों से जुड़ा है:

  • संघवाद और दसवां संशोधन (Tenth Amendment)

  • Posse Comitatus Act (घरेलू सैन्य हस्तक्षेप की सीमाएँ)

  • टाइटल 10 (U.S. Code) की धाराएँ

संघवाद और दसवां संशोधन

कैलिफ़ोर्निया का दावा है कि ट्रंप प्रशासन ने राज्य संसाधनों को हड़प लिया है और गवर्नर के अधिकारों को नज़रअंदाज़ कर दिया है। यह सीधे संघीय ढांचे के खिलाफ है। पहले भी अदालतों ने Newsom v. Trump जैसे मामलों में यह माना था कि राष्ट्रपति की कुछ तैनातियाँ संवैधानिक और वैधानिक सीमाओं से बाहर थीं।

टाइटल 10 और वैधानिक सीमाएँ

टाइटल 10 के तहत राष्ट्रपति तभी नेशनल गार्ड को संघीय आदेश में ले सकते हैं जब राज्य स्थिति संभालने में असमर्थ हो या गृह अशांति बेहद गंभीर हो। अदालतों ने पहले ही सवाल उठाया है कि क्या पोर्टलैंड की स्थिति इतनी गंभीर थी कि वहाँ नेशनल गार्ड भेजना जरूरी था।

न्यायिक हस्तक्षेप

यू.एस. जिला न्यायाधीश करिन इमरगुट ने अपने आदेश में न केवल ओरेगन नेशनल गार्ड बल्कि किसी भी राज्य से भेजे जाने वाले गार्ड की तैनाती पर रोक लगा दी है। यह एक ऐतिहासिक कदम है क्योंकि इससे क्रॉस-स्टेट तैनाती की पूरी रणनीति पर रोक लग सकती है।

राजनीतिक और लोकतांत्रिक दांव

  1. लोकतांत्रिक मानकों पर संकट – यदि राष्ट्रपति राज्य की अनुमति के बिना सैनिकों का इस्तेमाल कर सकते हैं, तो यह लोकतंत्र की नींव को हिला सकता है।

  2. गार्ड का राजनीतिकरण – नेशनल गार्ड का उपयोग आपातकाल के लिए होना चाहिए, न कि राजनीतिक उद्देश्यों के लिए।

  3. भविष्य की मिसाल – यदि यह कदम वैध ठहराया गया, तो आने वाले राष्ट्रपति विरोधी राज्यों में सैनिक भेजकर अपनी नीतियाँ थोप सकते हैं।

  4. जनमत और मीडिया नैरेटिव – ट्रंप पहले से ही पोर्टलैंड को “अराजक” बताकर दलीलें दे रहे हैं, जबकि न्यूज़म खुद को संविधान के रक्षक के रूप में पेश कर रहे हैं।

आगे क्या होगा?

  • कैलिफ़ोर्निया अदालत से अस्थायी रोक (TRO) की मांग करेगा।

  • अदालत तेज़ी से सुनवाई करेगी।

  • ट्रंप प्रशासन दलील देगा कि राष्ट्रपति के पास राष्ट्रीय सुरक्षा निर्णयों में विशेषाधिकार हैं।

  • यदि अदालत कैलिफ़ोर्निया/ओरेगन के पक्ष में जाती है, तो सैनिकों को वापस लौटना पड़ सकता है।

  • मामला अंततः सुप्रीम कोर्ट तक जा सकता है।

जनता और गवर्नर की भूमिका

गवर्नर न्यूज़म ने जनता से अपील की है कि वे इस “संवैधानिक संकट” पर आवाज़ उठाएँ। यह लड़ाई सिर्फ अदालत में नहीं है; यह लोगों की भागीदारी पर भी निर्भर करती है।

निष्कर्ष

6 अक्टूबर 2025 की यह स्थिति अमेरिकी राजनीति और संविधान दोनों के लिए एक परीक्षा है। कैलिफ़ोर्निया का ट्रंप के खिलाफ मुकदमा केवल राज्य की संप्रभुता की रक्षा नहीं, बल्कि इस सवाल का जवाब है कि क्या राष्ट्रपति घरेलू राजनीति में सेना का इस्तेमाल कर सकते हैं। आने वाले हफ्ते तय करेंगे कि लोकतंत्र की दीवारें कितनी मज़बूत हैं।


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