"मेक इट इन द एमिरेट्स" के दौरान... 120 मिलियन दिरहम की लागत से 6 लैंडिंग जहाजों के निर्माण का समझौता

"मेक इट इन द एमिरेट्स" के दौरान... 120 मिलियन दिरहम की लागत से 6 लैंडिंग जहाजों के निर्माण का समझौता

संयुक्त अरब अमीरात (UAE) की औद्योगिक प्रगति आज, 22 मई 2025 को, मेक इट इन द एमिरेट्स फोरम में नई ऊंचाइयों पर पहुंच गई, जब एक महत्वपूर्ण रक्षा अनुबंध की घोषणा की गई। इस आयोजन में जहां राष्ट्रीय नवाचार और निर्माण क्षमताएं प्रदर्शित की जा रही थीं, वहीं एक ऐसा समझौता हुआ जो देश की समुद्री रक्षा क्षमताओं को सुदृढ़ करेगा और मध्य पूर्व में इसके औद्योगिक नेतृत्व को और मजबूत बनाएगा।

120 मिलियन दिरहम मूल्य का यह समझौता छह आधुनिक लैंडिंग जहाजों के निर्माण के लिए किया गया है। यह अनुबंध एक प्रमुख अमीराती रक्षा निर्माता और एक सरकारी सुरक्षा निकाय के बीच हस्ताक्षरित हुआ, जो सार्वजनिक और निजी क्षेत्रों के बीच सहयोग का एक आदर्श उदाहरण है।

यह केवल एक व्यापारिक सौदा नहीं, बल्कि UAE की रक्षा क्षमताओं को सशक्त करने और विदेशी सैन्य आयात पर निर्भरता को कम करने की दिशा में एक रणनीतिक पहल है।


राष्ट्रीय रक्षा में एक रणनीतिक निवेश

इन छह आधुनिक लैंडिंग जहाजों का निर्माण एक रणनीतिक निर्णय है, जो UAE की समुद्री रक्षा को नया बल देगा। ये जहाज न केवल आपातकालीन स्थितियों में तेज़ प्रतिक्रिया देने में सक्षम होंगे, बल्कि मानवीय मिशनों और वैश्विक शांति प्रयासों में भी भाग ले सकेंगे। वैश्विक समुद्री मार्गों में बढ़ते तनाव के बीच, ऐसे संसाधनों की आवश्यकता पहले से कहीं अधिक हो गई है।

लैंडिंग जहाज, जिन्हें एम्फीबियस असॉल्ट वेसल्स भी कहा जाता है, किसी भी देश की नौसेना में अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। वे सैनिकों, वाहनों और आवश्यक आपूर्ति को बिना बंदरगाह की आवश्यकता के सीधे तट पर ले जा सकते हैं। UAE के लिए, जिसकी एक लंबी तटीय रेखा है और जो रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण स्थान पर स्थित है, ऐसे जहाज संचालन की लचीलापन और तत्परता प्रदान करते हैं।


"मेक इट इन द एमिरेट्स": राष्ट्रीय प्रगति का मंच

UAE के औद्योगिक और उन्नत प्रौद्योगिकी मंत्रालय द्वारा शुरू किया गया मेक इट इन द एमिरेट्स कार्यक्रम वैश्विक ध्यान आकर्षित कर रहा है। यह आयोजन केवल औद्योगिक उत्पादों की प्रदर्शनी नहीं, बल्कि देश की स्थानीय निर्माण क्षमताओं, तकनीकी नवाचार, और अमीराती प्रतिभा के सशक्तिकरण की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।

इस मंच पर रक्षा, एयरोस्पेस, ऊर्जा, स्वास्थ्य सेवा और लॉजिस्टिक्स जैसे रणनीतिक क्षेत्रों पर फोकस किया गया है। इस वर्ष अबू धाबी में आयोजित संस्करण में 250 से अधिक निवेशक, अंतरराष्ट्रीय कंपनियां और सरकारी प्रतिनिधिमंडल शामिल हुए। इनमें सबसे उल्लेखनीय रहा 120 मिलियन दिरहम के समझौते पर हस्ताक्षर, जो देश के रक्षा निर्माण क्षेत्र के विकास में एक नया अध्याय जोड़ता है।


अमीराती विनिर्माण को सशक्त करना

इन छह लैंडिंग जहाजों का डिजाइन और निर्माण पूरी तरह से UAE में किया जाएगा, जो कि ऑपरेशन 300bn रणनीति के अनुरूप है। इस रणनीति का उद्देश्य 2031 तक औद्योगिक क्षेत्र के GDP योगदान को AED 300 बिलियन तक पहुंचाना है।

घरेलू उत्पादन से स्थानीय आपूर्ति श्रृंखला को मजबूती, नौकरी के अवसरों में वृद्धि, और तकनीकी ज्ञान का प्रसार होगा। यह रक्षा अनुबंध न केवल औद्योगिक विकास को प्रोत्साहित करेगा बल्कि अमीराती युवाओं को विज्ञान, इंजीनियरिंग और रक्षा प्रौद्योगिकी में करियर चुनने के लिए प्रेरित करेगा।


अंतरराष्ट्रीय साझेदारी और रणनीतिक प्रभाव

दुनिया भर में बदलते भूराजनीतिक परिदृश्य के बीच, UAE घरेलू रक्षा क्षमताओं को मजबूत करके वैश्विक मंच पर अपनी स्थिति को सुदृढ़ कर रहा है। घरेलू जहाज निर्माण की क्षमता UAE को उन चुनिंदा देशों में शामिल करती है जो इस स्तर की आत्मनिर्भरता रखते हैं।

इस परियोजना से अंतरराष्ट्रीय साझेदारियों, तकनीकी आदान-प्रदान, और निर्यात संभावनाओं के द्वार भी खुलेंगे। पहले ही कई वैश्विक रक्षा कंपनियों ने अमीराती कंपनियों के साथ सहयोग में रुचि दिखाई है।

क्षेत्रीय रूप से, यह परियोजना GCC देशों के सहयोग को भी बढ़ावा दे सकती है, विशेषकर समुद्री सुरक्षा, आतंकवाद-रोधी अभियानों और मानवीय सहायता मिशनों में।


प्रौद्योगिकीय नवाचार और स्थिरता

ये लैंडिंग जहाज अत्याधुनिक तकनीक से सुसज्जित होंगे, जिनमें AI-संचालित कमांड सिस्टम, हाइब्रिड इंजन, और उन्नत नेविगेशन सिस्टम शामिल हैं। यह कदम UAE की Net Zero 2050 पहल के अनुरूप है और स्मार्ट डिफेंस टेक्नोलॉजी को बढ़ावा देता है।

इन जहाजों को बहुउद्देश्यीय रूप में डिजाइन किया जाएगा ताकि उन्हें आपदा राहत, खोज और बचाव, सैनिक तैनाती, और समुद्री निगरानी जैसे विभिन्न कार्यों में इस्तेमाल किया जा सके।


आर्थिक और औद्योगिक प्रभाव

रक्षा क्षेत्र के अलावा, इस परियोजना के प्रभाव इस्पात उद्योग, इलेक्ट्रॉनिक्स निर्माण, लॉजिस्टिक्स, और बंदरगाह संचालन जैसे क्षेत्रों में भी महसूस किए जाएंगे।

तकनीकी शिक्षा और कार्यबल विकास की आवश्यकता को देखते हुए, विश्वविद्यालय और तकनीकी संस्थान समुद्री इंजीनियरिंग और औद्योगिक स्वचालन पर केंद्रित पाठ्यक्रम शुरू कर सकते हैं।

यह परियोजना निवेशकों को यह संदेश देती है कि UAE एक स्थायी, आत्मनिर्भर और तकनीकी रूप से सक्षम राष्ट्र बनने की दिशा में तेज़ी से आगे बढ़ रहा है।


निष्कर्ष: UAE के लिए एक ऐतिहासिक क्षण

मेक इट इन द एमिरेट्स के दौरान 120 मिलियन दिरहम के लैंडिंग शिप समझौते पर हस्ताक्षर UAE की औद्योगिक आत्मनिर्भरता, रणनीतिक स्वायत्तता, और तकनीकी नेतृत्व की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम है। यह उदाहरण दुनिया को दिखाता है कि किस तरह एक स्पष्ट दृष्टि, नीतिगत समर्थन और औद्योगिक क्षमता मिलकर एक राष्ट्र को भविष्य के लिए तैयार कर सकते हैं।

जब ये जहाज अमीराती डॉकयार्ड से समुद्र में उतरेंगे, तो वे केवल सैन्य उपकरण नहीं होंगे, बल्कि UAE के आत्मविश्वास और राष्ट्रीय गर्व के प्रतीक होंगे।


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